भारत केवल भागौलिक विविधता का ही नही बल्की भोजन में भी विविधताओं को समाहित रखने कि क्षमता रखने वाला देश है, आप जब देश में यात्राएं करेगे तो समझेंगे कि हर भोजन व्यंजन अलग है अगर वो व्यंजन मूल रूप से कही से आया हो लेकिन उसमे स्थानीय स्वाद घुलमिल ही जाता हैं।
इसी तरह राजस्थान में बाटी चूरमा दाल और उसी तरह का बिहार में लिट्टी चोखा व्यंजन है जो लगभग एक ही तरह से बनने कि प्रक्रिया से गुजरते है लेकिन स्वाद में जमीन आसमान का फर्क होता है
हो सकता है एक मूल बिहारी जिसको स्वाद कि समझ हो लेकिन उसे बाटी चूरमा दाल पसंद न आए और ऐसा ही उस राजस्थानी व्यक्ति के साथ भी हो सकता हैं कि उसे लिट्टी चोखा न पसंद हो या फिर इसके विपरित दोनो को ये व्यंजन पसंद आ ही जाए ।
लेकिन अगर आप बिहारी है तो शनिवार के शाम को एक बार तो जरूर ही आपका मन चटखारे भरे सत्तू जिसमे मिलाया जाता है काला नमक सरसों तेल नींबू अजवाइन और मंगरेल का स्वाद और उपलों के आंच पर आटो के कटोरी बना के उसके बीच भरे सत्तू जो पकाए जाते है और बैगन आलू टमाटर का चोखा और प्याज का स्वाद जो अदभुत है उसकी याद न आई हो
उसी तरह राजस्थान में आटे में ही बेसन सूजी घी अजवाइन आदि मिलाकर लाल तप्त उपलों को फोड़ कर उनके ऊपर ये गोल गोल बिना कुछ भरे पकाया जाता है और उन्हें दाल और चूरमा जो इसी बाटी को पीसकर चीनी मिलाकर परोसा जाता है।
लेकिन दोनो का स्वाद अपने आप में अद्वितीय है और स्वाद में फ़र्क भी बहुत है ये तो वही समझेंगे जो इसका स्वाद चखेंगे तो देर किस बात कि निकलिए भारत व्यंजन यात्रा पर और मेरा विश्वास है कि आप भी अलग और अद्भुत स्वाद और भगौलिक का दर्शन आनंद लेगे
शुभ अस्तु
गोलंबर
21 सितंबर 2024
बक्सर
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें