आज सोलह जून हैं यानी पाश्चात्य संस्कृति में पिता दिवस आज कि तारीख़ को मनाया जाता हैं, जो अब धीरे धीरे भारत में भी प्रचलित हो रहा हैं।
कुछ लोग इसे पाश्चात्य संस्कृति कि गुलामी मानते हैं लेकिन जो कुछ भी अच्छा है अगर किसी भी देश संस्कृति में तो उसे स्वीकृत किए जाने मुझे कोई कमी नहीं दिखती हैं।
अब जो लोग भी राष्ट्रवाद के पक्ष में खडे होगे उन्हें मेरी बात अच्छा नही लगेगा लेकिन वो लोग स्वयं का मूल आधार भूल रहे हैं जिसे हम ”वसुधैव कुटुंबकम्”
कहते हैं।
वैसे भी जो पिता आप को लेकर स्वयं के सभी इच्छा और जरूरत से पहले आपको सारा कुछ मुहैया कराने में जान लगा देते है उन्हें भी अगर वर्ष में एक दिन ही अगर प्रेम और सराहना खुल कर मिल जाए उतने से वो खुश हो जायेंगे ।
क्यूंकि भागदौड़ और अर्थयुग में हम बहुत से बात रिश्ते मेहनत को नज़रअंदाज़ कर देते है उसी बात पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शायद पश्चिम देशों में पिता दिवस माता दिवस आदि मनाया जाता है ताकि हम अपने रिश्ते के प्रति और प्रगाढ़ और बेहतर नज़रिया और सम्मान समर्पित कर के रिश्ते को और मज़बूत कर सकते हैं।
आज के दिन बाज़ार में फ़ूल का कपड़ो का कॉफी मग कि काफी बिक्री होगी क्योंकि ये सब प्रचलित उपहार है पिता के लिए और तोहफे भावना व्यक्त करने में सबसे बढ़िया तरीका है क्यूंकि तारीफ और तोहफ़े शायद ही किसी को नापसंद हो ।
ख़ैर आप सभी हमेशा अपने पिता का बहुत सम्मान करिए क्युकी माता अगर दुनिया है तो उस दुनिया का रंग पिता है अगर मां धरती है तो पिता आसमा हैं और ये दिवस विशेष पर नहीं केवल बल्कि हर रोज ही उनका आदर और सम्मान करिए
मेरे सभी पाठको को पिता दिवस की अनघा और अद्वितीय बधाई।
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