ऑनलाइन जुआ ज़हर है।

आज कल इंटरनेट ने हमारे जीवन को बहुत आसान बनाया है। अब ट्रेन बसों की टिकटों के लिए लाइन में नही लगना पड़ता कोई खास फ़िल्म देखने के लिए चैनल पर आने का इंतजार नही करना पड़ता है न ही बिजली बिल जमा करने जाना है नही मोबाइल रिचार्ज के लिए बाहर जाना है न ही अपने पैसों को ट्रांसफर करने के लिए बैंक जाने कि आवश्यकता है ये सब काम इंटरनेट के माध्य्म से बहुत सुगमता से केवल इंटरनेट और मोबाइल फोन के माध्यम से किया जा रहा है।
पर यही इंटरनेट का इस्तेमाल अपने विवेक से न किया जाए तो ये घातक भी हो सकता है ।


क्योंकि आजकल इंटरनेट पर फ्राड मामले या किसी के निजी पल के वीडियो तस्वीर कब कैसे इंटरनेट पर पोस्ट हो जाती है पता नही चलता है पैसे के लेनदेन में भी क़ई बार पैसे फ़स जाते है तो एप्लिकेशन वाले बैंक को और बैंक वाले एप्लिकेशन वालो कि गलती बताते है

ऐसे बहुत से मामले देखने को मिल रहे हैं लेक़िन हर अविष्कार का उपयोग और दुरुपयोग दोनो ही है जैसे चाकू से सब्जी भी कट सकती है और हमे चोटिल भी कर सकती है ये निर्भर करता है हमारे उपयोग के ऊपर कि हम किस तरह इसका उपयोग अपने दैनिक जीवन मे करते है

अभी कुछ समय से यूट्यूब और वेबसाईट पर ऑनलाइन रमी लूडो इत्यादि खेल का प्रचार प्रसार खूब हो रहा है जो मूल रूप से जुआ के वृति को बढ़वा दे रहा है ।

ये विडम्बना है कि जिस देश मे जुआ के वजह से महाभारत हो गया हो उस देश भर में इसे नए तरीके से सलीके से सजा कर के पेश किया जा रहा है जिसे सरकार भी मौन रूप से सहयोग कर रही है।

केवल खेल हो तो कोई समस्या नही पर जब खेल जुआ का रूप ले ले तो ये एक समाज पर बहुत गलत और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इससे अर्थ कि हानि के संग परिवार बिखराव कि भी समस्या हो सकती है। 

इसकी लत इतनी बुरी हो जाती है इस खेल में कि आदमी बस आ सकता है बाहर नही निकल सकता बल्कि इस आदत के गिरफ्त में आ जाता है जिसका लाभ बड़ी कंपनी ले रही है।

आखिर इस तरह के ऑनलाइन जुआ खेलने औऱ खेलाने वालो को किस आधार पर आने दिया जाता है। 
यही नही आप को प्रचार प्रसार के माध्य्म से आकर्षित भी किया जाता हैं ।
कि मैंने इस खेल से लाखो कमाए कोई कहता है हज़ारो कमाए पर हारने कि बात कोई नही कहता है ऐसा बिल्कुल नही है कि इस खेल में केवल जीत ही होती है लेकिन ये केवल जीतने की बात बहुत सलीके से प्रचार और बड़े बड़े खिलाड़ी और फिल्मी सितारों के द्वारा करवाते है जिससे आम लोगों को ये लगता है कि छोटा रकम लगा कि खेलते है जीत जाये तो ठीक न तो छोड़ देंगे पर ये ऐसा चंगुल है जहां बस व्यक्ति केवल फ़स सकता है निकलना बहुत कठिन है ।

इसलिए सरकार को भी और जनता के आपसी समन्यवय से ही इस सामाजिक बुराई को दूर किया जा सकता है औऱ जो भी बड़े सितारे है फिल्मों के या खेल जगत के उन्हें भी ऐसे प्रचार करने से बचना चाहिए ।

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