भारत बहुत बड़ी जनसंख्या वाला देश है ।
जहा कि आबादी में लगातार वृद्धि होती जा रही है जो की अब एक तरह के ख़तरे कि घंटी के तरह बज रहा है।
सरकार भी हम दो हमारे दो के लिए पहले सामाजिक प्रयासरत थी लेकिन उससे कोई ठोस परिणाम नही मिल रहे है जिस कारण मौजूदा सरकार में इस के लिए कानूनी नियम बनाने की मांग उठ रही है ।
लेकिन जो लोग इसके विरोध।ए है की हम क्यों केवल दो बच्चे को जन्म दे हम चाहे चार दे सरकार को क्या समस्या है ?
ऐसा अक्सर सोशल मीडिया और वाद विवाद में सुना जा सकता हैं।
लेकिन उन्हें जरा ठहर कर के ये विचार करना चाहिए कि क्या उनकी ये मान्यता सही है ?
क्या सरकार कि जिमेदारी नही है हर जन्मे नागरिक और जन सामान्य के लिए अच्छी शिक्षा अच्छी स्वास्थ सुविधा स्वच्छ और बेहतर समाज पर्यावरण प्रकृति और देश दे ताकि वो अच्छे और बेहतर तरीके से अपने गुण को प्रतिभा को देश दुनिया के सामने ला सके।
ये कब संभव है जब जनसंख्या नियंत्रित हो या लोग जीवन समाज देश की दशा पे विचार कर के अपना सहयोग इस बात में सुनिश्चित करे ।
क्योंकि अगर जनसख्या ज्यादा होगी तो निश्चित ही अववस्था फैलेगी और लोग को आशा पे सरकार खरी नही उतर पाएगी क्योंकि संसाधन सीमित है और जनसंख्या वृद्धि होती जा रही है।
क्योंकि जब लोग ज्यादा होगे तो प्रशासनिक सेवा विद्यालय अस्पताल खेलकूद कि व्यवस्था रोजगार करनी होगी जो मूलभूत सुविधाएं हैं।
बाकी लिस्ट तो लंबी ही है जैसे बिजली पानी राशन सुरक्षा नौकरी रोजगार स्वरोजगार प्रशिक्षण आदि अगर इसकी चर्चा होगी तो बात बहुत बड़ी हो जाएगी ।
इसलिए जनसंख्या वृद्धि पर सरकारी नियंत्रण के साथ समाजिक जागरूकता पैदा करने कि कोशिश करना ही एक आदर्श योगदान होगा
किसी भी नागरिक का देश के उन्नति में ताकि सरकार अपने नागरिकों की अच्छी गुणवत्ता पूर्ण जीवन कि बनाने की एक अथक मेहनत और ईमानदार प्रयास करे ताकि देश से पलायन कम हो से और देश के प्रति लोग कि प्रेम लगाव और ऊंची स्तर पे आ सकें।
लेकिन ये केवल सरकार के नीति या फिर नियम से नही हो सकता इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास होना और उनका सहयोग बहुत जरूरी है ।
वरना बिना सरकार एवम जनता के सामंजस्य के इस समस्या से छुटकारा मिल पाना मुश्किल है।
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