शुभ पान

पान की महत्ता इसको देखते ही बनती है,
हरे पत्तों में रंग अनेक कहने में कोई अतिश्योक्ति न होगी।
जब इसके भीतर मुलेठी गुलकंद पानी की चटनी इलायची कत्था हल्का चूना और हल्का ब्रास चौड़ी पत्ती तुलसी चौसठ और हल्की- सी मिश्री और भीगी हुई सुपारी रख कर पान का पत्ता पारंपरिक तरीके से लपेट के खाने वाले के सामने ऊपर से हल्का कत्था और पान रसना के साथ गुलाबजल छिड़क के आता है ।



तो स्वाद की ख़ुश्बू और पान की खू़बसूरती देखते ही बनती है बस जी करता है कि तुरन्त खा के इसका स्वाद चखें और अपने होंठ को चटक लाल रंग से रंग लें ।


मग़र इस के भी कई रंग हैं ऐसे ही नहीं केवल समझिए ये तो बस सामान्य वर्णन है जब कि इसमें बहुत- सी वराइटी और भी क्यूंकि जितना क्षेत्र उतने प्रकार ।


ख़ैर पान हमारे समाज और हमारे लिए शुभता का प्रतीक है । हर मंगल कार्य में शुरुआत पान से ही होती है ।
पूजन हो या विवाह ये ब्रह्मभोज हर जगह पान का महत्व देखते ही बनता है।


लगभग देवी- देवता को भी ये प्रिय है लेक़िन उनमें नशीली या उतेजित करने वाले सामग्री नहीं मिलाई जाती है।

 
मग़र यह अति सर्वत्र वर्जयेत ज्यादा प्रयोग से दाँत में समस्या और काले हो कर चेहरा भद्दा लगने लगता है ।
इसलिए पान भोग का आनंद लीजिए लुत्फ़ उठाइए पानभोग के साथ बस अति से बचेंगे तो सुरक्षित रहेंगे ।
शुभ पान

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