मनोरंजन के रंग

जब से मनुष्य सामाजिक हुआ हैं तब से वो अपने विकास के संग मनोरंजन को अपने रुचियो के अनुसार विकसित किया है,लेकिन सभी प्रकार के मनोरंजन आज, डिजिटल क्रांति के युग में केवल स्क्रीन पर ज्यातर सिमट के रह गया है ।
जबकि भारत में मनोरंजन के बहुत ही अलग अलग और अनोखे आयाम के अंदाज है,लेकिन आज सोशल मीडिया पर विचार और स्वस्थ बहस के बजाय केवल नाचने, गाने, गंदे गाली, हिंसा और सेक्स नग्नता को बहुत सजा कर और आकर्षक बनाकर सबके मोबाइल के स्क्रीन पर परोसा जा रहा है ।

जिससे एक बड़ा युवा वर्ग का झुकाव इस तरफ होने लगा है और वो कम मेहनत समय में प्रसिद्धि प्राप्त कर के अंधी होड़ में दौड़ पड़े है।
अब कोई शारीरिक खेल या मानसिक खेल, वाद्य यंत्र बजाना अथवा संगीत, यात्रा, लेखन तथा चित्रकारी ये सभी अब उतने प्रिय नही है युवा वर्ग के बीच में आज जितना सोशल मीडिया पर समय देना पसंद करते है।

ये सभी अन्य मुख्य और लोक प्रचलित मनोरंजन अब धूमिल और धारा से बाहर होती दिख रहा है, कुछ अच्छे और सराहनीय कलाकार है, जो इस प्लेटफार्म का अच्छा इस्तेमाल कर के मनोरंजन को एक स्वस्थ, आनंदपूर्ण और ज्ञानवर्धक बनाने कि सार्थक पहल के प्रतिभागी है,लेकिन सभी मनोरंजन का अपना महत्व होता हैं, क्योंकि मनोरंजन समाज कि भावो का मानसिक उच्चता का प्रतिक है। इसलिए मनोरंजन का स्तर और गुणवत्ता ऊंचा होना चाहिए।

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