मुंशी प्रेमचंद जयंती

आज यानी 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद जयंती है कम ही लोग जानते है कि प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था जो भी साहित्य प्रेमी व्यक्ति हैं उसे ये पता होना जरूरी है क्योंकि साहित्य के दुनिया में एक बड़े तबके के प्रतिनिधित्व का कार्य इन्होंने बहुत ही आदर और धरातली स्तर से किया है जो कि उस समय के चित्रांकन के रेखांकन के लिए जीवंत साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं।

मुंशी प्रेमचंद उस समय के समाज को इतना बारीकी से निरीक्षण किया और उसे दस्तावेज़ में लिपिबद्ध कर दिया एक पूरा साहित्य काल ही इनके नाम से जाना जाता है जिनके युग का विस्तार सन् 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुजरा। कई कहानियों के किरदार तो अब तक अमर हो चुके है।

ऐसी कहानी रचनाएं जिन्हे केवल आप पढ़ ही नही सकते बल्कि महसूस भी कर सकते यदि आप जीवंत और संवेदनशील व्यक्ति है तब ही ये अनुभव हो सकेगा आपको इनके रचना के माध्यम से 

मुंशी प्रेमचंद जी ने समाज में चल रहे घटनाओं को लिपिबद्ध इस तरह से किया कि जो भी इस दस्तावेज को पढ़ेगा वो शब्दचित्र के माध्यम से उस समय की यात्रा कर पायेगा

लेखक के पास ही वो ईश्वरीय कृपा से प्राप्त कल्पनाशीलता कि कैनवास होती है जिसमे वो अपने कल्पना को उतारता है जिसके द्वारा वो आप को भी इस अद्वितीय अनुभूति कराते है अपने लेखन के माध्यम से तथा इस सूची में सदैव ही श्रेष्ठ स्थान मुंशी प्रेमचन्द का रहेगा

शायद ही कोई ऐसा हो जिसने इनका कोई न कोई लिखीं हुई कहानी न पढ़ी हो या यूं कहे की शायद ही एसी कोई सामाजिक कुरीति हो जिसे मुंशी प्रेमचंद ने उसका लेखन न किया हो ।
आज उनके जयंती पर उन्हें प्रेमरूपी शब्द पुष्प अर्पित करता हूं।
https://www.google.com/search?q=https%3A%2F%2Fwww.yourquote.in%2Fashok-dwivedi&oq=https%3A%2F%2Fwww.yourquote.in%2Fashok-dwivedi&aqs=chrome..69i58j69i57.906j0j7&client=ms-android-oppo-rvo3&sourceid=chrome-mobile&ie=UTF-8

©अशोक द्विवेदी दिव्य

टिप्पणियाँ