चॉकलेटी रसगुल्ले

7 फ़रवरी से प्रेम सप्ताह शुरू हो जाता हैं, और इसके सप्ताह के हर दिन में एक अलग तरीके से प्रेम का इज़हार करना होता है ऐसा इस वैलेंटाइन वीक का अलिखित या लोक किवदंतीयो का नियम है।

लेकिन इस सात दिनों का इंतज़ार प्रेमी युगल को पूरे वर्ष रहता हैं, कई को प्रेम का इज़हार के लिए तो कई के लिए प्रेम में नयापन के लिए,

इसी तरह आदित्या और प्रिया के प्रेम वर्षगांठ का भी पांचवीं था ।लेकिन प्रेम वही था हर दिन नया जैसा वो कल ही मिले है, इसी उतार चढ़ाव भरे जीवन में अपने प्रेम का संतुलन बनाए रखने में माहिर थे जिसके वजह से उनका प्रेम हमेशा ही प्रस्फुटित होता रहता था।

9 फ़रवरी कि शाम भी थकान और आलस से भर चुकी थी आदित्य भी आज पूरे दिन में काम में लगा हुआ था और सब काम खत्म करके जैसे ही अपने ऑफिस से निकला वो तुरंत फोन निकाला और नेट ऑन करते हुए उसके वाट्सअप पर प्रिया का मैसेज आया था

“हैपी चॉकलेट डे डार्लिंग”और चुम्मी की इमोजी थी ।

आदित्य मामला समझ गया और उसने तुरंत प्रिया को कॉल किया उधर से तुनक भरे आवाज में प्रिया बोली हैप्पी चॉकलेट डे डार्लिंग जी

आदित्या झेप गया क्योंकि उसे ऐसी प्रतिक्रिया कि उम्मीद नहीं थी लेकिन तुरंत बात संभालते हुए बोला आप को भी खूब बधाई हो डार्लिंग कि करेजा जी

तब आदेश करिए चॉकलेट या सफ़ेद रसगुल्ले क्या खाना पसंद करेंगी करेजा जी

प्रिया खिलखिलाकर हस पड़ी और बोली  मस्काबाजी गई नही तुम्हारी वैसे भी आज चॉकलेट दिवस है तो ज्यादा मीठे बोल बोलने कि जरूरत नहीं है और कहा था जी तुम्हारा फोन न कॉल न मैसेज दूसरी के संग पेस्ट्री खा रहे थे क्या जी

आदित्य हंसते हुए बोला ह मेरी एक साली है उसकी के साथ पेस्ट्री खा रहा था अगले साल तक जो आधी घरवाली है वो पूरी हो जायेगी प्रिया ने कहा हुऊह ज्यादा दिन में सपना मत देखो

आदित्य ने फिर पूछा चॉकलेट या रसगुल्ला बोलो अब जल्दी से बहुत बात हो गई प्रिया ने कहा रसगुल्ला ले लेना मुंह भी मीठा हो जायेगा इसी बहाने आदित्य ने छेड़ने के अंदाज में बोला ओह्होहो मुंह मीठा हुहुहू और नाटकीय अंदाज़ में बोला रूको प्रिय! मैं तत्काल प्रभाव से तुम्हारे लिया सफेद रसगुल्ले लेकर हाजिर होता हू ये सुनते ही दोनो एकसाथ हंसने लगे प्रिया ने कॉल रख दिया और आदित्य ने रास्ते से मिठाईवाले से प्रिया के लिए सफेद रसगुल्ले पैक करवाया और घर की तरफ बढ चला और रास्ते से लाल गुलाब के फूल भी खरीद लिया ।

ये लघुकथा अशोक द्विवेदी दिव्य के द्वारा दिया गया हैं।

 

टिप्पणियाँ