आज विश्व साड़ी दिवस है, जो कि प्रत्येक भारतीय महिलाओं के लिए बहुत ही गौरव का विषय है। साड़ी जितनी आधुनिक है, उतनी ही प्राचीनता का गौरव अपने भीतर समाहित की हुई होती है।
( फ़ोटो गूगल द्वारा लिया गया है। )
समय के अनुसार फैशन के तरीके बदले, पर महिलाओं के बीच साड़ी की चलन कभी कम नहीं हुई। यह अलग बात है कि उसके डिजाइन और क्वालिटी में बदलाव आया, पर महिलाओं की पसंद साड़ी हमेशा रही है।
साड़ी का इतिहास पर अगर हम सरसरी नजर डालें, तो मालूम चलेगा कि इसका उल्लेख महाभारत में हुआ है, जब द्रोपदी का चिर हरण हो रहा था। भगवान श्री कृष्ण ने आकर उनकी लाज की रक्षा की थी। इसके साथ ही सिंधु घाटी सभ्यता के समय भी साड़ी वाली मूर्तियां पाई गई हैं।
भारत महाद्वीप के उत्तर पाश्चिम में साड़ी का चलन हमेशा से रहा है। हम संक्षेप में यह भी कह सकते हैं कि मानव जब सभ्यताओं में ढल रहा था, तब से साड़ी वस्त्र है।
साड़ी सभ्यता और संस्कृति की परिचायक है। हर क्षेत्र की साड़ी के गुण, बनावट, और रंगों में फर्क होता है, जो इनकी सबसे विशेष पहचान हैं।
आज साड़ी दिवस पर सभी साड़ी पहनने वाली स्त्रियों को बधाई, क्योंकि उन्होंने अपनी सभ्यता और संस्कृति को आधुनिकता के संग भी तालमेल में पहले नंबर पर बैठाया हुआ है।
शुभ अस्तु 🌸
21 दिसंबर 2024
अशोक कुमार
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